स्वयं करना सीखिये हवन -Register for free luminar

      
विधि:
1. अग्नि प्रज्वलन:
हवन कुंड में उपले रखें, कपूर डालें, और अग्नि प्रज्वलित करें।
2. मंत्र जाप और आहुति:
o मन ही मन गायत्री मंत्र का 5-7 बार जाप करें।
o अग्नि देव, सूर्य देव (सिर्फ सुबह या सूर्यास्त से पहले), और प्रजापति को आहुति अर्पित करें।
o नमस्कार करें और हवन के लिए निम्न मंत्रों से आहुति दें:
“ॐ स्वाहा” के साथ प्रत्येक आहुति।

“ॐ स्वाहा” के साथ प्रत्येक आहुति। ऊं आग्नेय नम: स्वाहा इदं अग्नेय
ऊँ भू स्वाहा
ऊँ भुवा: स्वाहा
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरियाय नम: स्वाहा
ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ॐ महालक्ष्म्यै नमःस्वाहा।
ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा‘
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं पित्र देवताय नम: स्वाहा
ऊँ ईष्ट देवताभ्यो नमः स्वाहा
ऊँ वास्तु देवताभ्यो नमः स्वाहा
ऊँ ग्राम देवताभ्यो नमः स्वाहा
ॐ छेत्रपाल भैरवाय नमः
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहा

ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
ऊं गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ऊं शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

अब इसके बाद हवन में  भोग डालें। फिर  इस मंत्र को बोले- ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्ण मुदच्यते,
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवा वशिष्यते.
अंत में क्षमा याचना करना चाहिए ।
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।।                                            

प्रार्थना

  ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।

     ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥ 

            हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
शीघ्र सारे सद्गुणों से पूर्ण हमको कीजिये ||
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें

निंदा किसी की हम किसीसे भूल कर भी न करें |
ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूल कर भी न करें |
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें |
दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें ||
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में |
हाथ ड़ालें हम कभी न भूलकर अपकार में |
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा !
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा ||
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें |
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें |
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |
योग विद्या, ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें |
ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें ||
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये ||
शीघ्र सारे सद्गुणों से पूर्ण हमको कीजिये ||

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