सनातन धर्म शास्त्रों में ग्रहण काल बहुत ही विशेष महत्व रखता है। मान्यता है ग्रहण के की तिथि के आस पास लगभग 30 से 45 दिन का समय नकारत्मकता से भरी घटनावों से ग्रसित रहता है। और प्रत्येक व्यक्ति को कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लग रहा है ।
ग्रहण समय
चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को रात 11:32 बजे (IST) शुरू होगा और 29 अक्टूबर को 2:24 AM (IST) पर समाप्त होगा।
सूतक काल
यह अशुभ समय की अवधि मानी जाती है जो चंद्र ग्रहण से पहले और बाद में देखी जाती है। इस दौरान कुछ गतिविधियाँ वर्जित या हानिकारक मानी जाती हैं।
ग्रहण के दौरान आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं
ग्रहण (चंद्र/ सूर्य) के दौरान उस दौरान कीटाणुओं और नकारात्मक प्रभावों का प्रभाव बढ़ जाता है। चंद्र मन को और सूर्य आत्मा का कारक होने से यह दोनों राहु से ग्रसित (ग्रहण) होने के कारण हमारे जीवन पर बुरा असर पड़ता है
इस दौरान भोजन करने से व्यक्ति सूतक का पालन न करने से दोष लगता हैं
व्यक्ति बीमार पड़ सकता है या नकारतमकता से जूझना पड़ सकता है
लेकिन बच्चे, बीमार और बुजुर्ग सूतक के समय तुलसी को अपने आहार में शामिल करके खा सकते हैं।
चंद्र ग्रहण 2023 सूतक काल के दौरान क्या करें और क्या न करें
इसे करें
सूर्यास्त से पहले भोजन समाप्त कर लें
चंद्र ग्रहण लगने तक खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालने चाहिए।
मंत्र जाप करें या ध्यान करें।
धार्मिक ग्रंथ पढ़ें.
योग या प्राणायाम जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न रहें।
जरूरतमंदों को दान दें
जरूरतमंदों की मदद करें.
अकेले समय बिताएं और ध्यान करें
क्या न करें
नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें
ब्रह्मचर्य का पालन करें
ग्रहण के दौरान किसी भी भोजन या पेय पदार्थ का सेवन न करें।
सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए।
तेल मालिश, पानी पीना, दांत साफ करना और बालों में कंघी करने से बचना चाहिए।
यात्रा शुरू न करें
नए उद्यम या परियोजनाएँ शुरू न करें।
• चंद्र ग्रहण के दौरान भूलकर भी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श न करें। मंदिर को चुनरी से ढक दे
• चंद्र ग्रहण के दौरान किसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें।
• गर्भवती महिलाएं सूतक काल में भूलकर भी कैंची, चाकू, सुई आदि चीजों का प्रयोग न करें।
• ग्रहण के समय किसी के प्रति द्वेष की भावना न रखें और न किसी का दिल दुखाएं।
• चंद्र ग्रहण की रात श्मशान एवं नकारात्मक जगहों पर न जाएं।
- मंत्र का जाप करें
- ग्रहण के दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु या देवों के देव महादेव के निमित्त मंत्र का जाप करें। आप विष्णु और शिव बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। गाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी श्रेष्ठ होता है।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ नमः शिवाय
- ग्रहण काल में ‘ॐ ऐं क्लीं सौम्याय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- स्फटिक की माला से ‘ॐ पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते’ मंत्र का जाप ग्रहण समाप्त होने तक करें
- मेष राशि
- मेष राशि का स्वामी मंगल है। इसलिए इस राशि के जातकों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
- ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:’
- वृषभ राशि
- वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है। इसलिए इस राशि के जातकों के लिए श्री सूक्त का पाठ और इस मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
- ‘ॐ शीतांशु विभांशु अमृतांशु नम:’
- मिथुन राशि
- मिथुन राशि का स्वामी बुध है। इसलिए इस राशि के जातकों के लिए इस मंत्र का जाप 108 बार करना शुभ माना जाता है।
- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’
- कर्क राशि
- चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है। इसलिए इस राशि के जातकों को इस दौरान भगवान शिव की पूजा और चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’
- सिंह राशि
- सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इसलिए इस राशि के जातकों को ग्रहण के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
- ‘ॐ सूर्याय नमः’
- कन्या राशि
- कन्या राशि का स्वामी बुध है। इसलिए इस राशि के जातकों को गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए और इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
- ‘ॐ शीतांशु विभांशु अमृतांशु नम:’
- तुला राशि
- तुला राशि का स्वामी शुक्र है। इस दौरान लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
- ‘ॐ ऐं क्लीं सौमाय नमः’
- वृश्चिक राशि
- वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। इसलिए इस राशि के जातकों को हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
- साथ ही इस मंत्र का जाप 108 बार करें।
- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’
- धनु राशि
- धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है।
- इस दौरान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है। साथ ही इस मंत्र का जाप 108 बार करें।
- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः। या ॐ बृं बृहस्पतये नमः।मकर राशि
- मकर राशि
- इस दौरान इस राशि के जातकों को शनि (भगवान शनि मंत्र) चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- साथ ही इस मंत्र का जाप 108 बार करें।
- ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’
- कुंभ राशि
- कुम्भ राशि का स्वामी शनि है।
- इस दौरान शनि चालीसा, कृष्ण चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का जाप करें।’
- ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’
- मीन राशि
- जिन लोगों की राशि मीन होती है, उन्हें ‘ऊं नमो नारायण’ का जाप करना चाहिए।
- मीन राशि स्वामी गुरु का बीज मंत्र का जाप भी करें
- ॐ ह्रीं क्लीं सौः।